Sunday 4 October 2015

विष्णु पुराण: इन 4 प्रकार की लड़कियों से विवाह नहीं करना चाहिए

मनुष्य जीवन के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विवाह। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यकता होती है अच्छे जीवन साथी की। शादी के लिए ऐसी लड़की का चयन करना चाहिए, जो कि अपने पति और परिवार दोनों को प्रेमपूर्वक संभाल सके। विष्णु पुराण में स्त्रियों के संबंध में कई बातें बताई गई हैं। इस पुराण में 4 ऐसी लड़कियां बताई गई हैं, जिनसे विवाह नहीं करना चाहिए, जानिए ये 4 लड़कियां कौन हैं...


1. माता या पिता पक्ष की ओर से कोई रिश्ता हो
शास्त्रों में आपसी रिश्तेदारी या एक ही गोत्र में विवाह करना मना किया गया है। इससे जेनेटिक बीमारियां होने की भी संभावनाएं रहती हैं।

2. बुरा बोलने वाली
बुरे या कटु वचन बोलने वाली स्त्री का स्वभाव भी उसकी भाषा की तरह बुरा ही होता है। ऐसी स्त्री की वजह से घर में अशांति का वातावरण बना रहता है। इसीलिए ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए।

3. दुष्ट पुरुष से संबंध रखने वाली
दुष्ट पुरुष की संगत में रहने से स्त्री का स्वभाव भी वैसा हो सकता है। ऐसा होने से उसके चरित्र में भी दोष आ जाता है। इसलिए ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए, जो दुष्ट पुरुष से संबंध रखती हो।

4. देर तक सोने वाली
देर तक सोने के कारण महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाती है। देर तक सोना आलस की निशानी होती है। आलसी स्त्री घर को साफ नहीं रख सकती। घर में लक्ष्मी की कृपा बनाएं रखने के लिए साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी होता है।
Source: bhaskar.com

Thursday 17 September 2015

Hindu Vivah Sanskar

विवाह का वास्तविक स्वरुप क्या है ?


हिंदू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है।
विवाह = वि + वाह
अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना।

पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे कि किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अतः किसी भी भारतीय भाषा में तलाक जैसा कोई शब्द ही नहीं है।


अग्नि के सात फेरे ले कर और ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संम्बंध से अधिक आत्मिक संम्बंध होता है और इस संम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों (ब्रम्हचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम तथा वानप्रस्थ आश्रम) में विभक्त किया गया है और गृहस्थ आश्रम के लिये पाणिग्रहण संस्कार अर्थात् विवाह नितांत आवश्यक है। हिंदू विवाह में शारीरिक संम्बंध केवल वंश वृद्धि के उद्देश्य से ही होता है।